अनुलोम विलोम के 8 चमत्कार: Anulom Vilom Pranayama

अनुलोम विलोम प्राणायाम को सभी प्राणायामो से बेहतर माना गया हैं. क्योकि इसको सरलता से किया जाता हैं और अनुलोम विलोम के चमत्कार (Anulom Vilom Pranayama) आपके लिए किसी जादू से कम नहीं हैं. इसे करने से आपको बोहोत सारे लाभ मिलते हैं जो आपने कभी सोचे भी नहीं होंगे।

अनुलोम विलोम प्राणायाम को बोहोत आसानी से किया जा सकता हैं, फिर भी लोग इसे गलत तरीके से करते हैं और इसी वजह से आपको इसका फायदा नही मिल पाता हैं। इसलिए आवश्यक है की आप अनुलोम विलोम प्राणायाम को कैसे करें इसको अच्छी तरह समझे फिर अनुलोम विलोम प्राणायाम को करें। अनुलोम विलोम प्राणायाम को करने का मुख्य उद्देश्य शरीर की ऊर्जा बठाने वाली सभी नाड़ियों को शुद्ध करके पूरे शरीर को स्वस्थ करना हैं।

अनुलोम विलोम के चमत्कार: Anulom Vilom Pranayama

• अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या हैं?

अनुलोम का अर्थ है ‘की ओर और विलोम का अर्थ हैं विपरीत’ । इस प्राणायाम में प्रत्येक श्वसन और उच्छ्वसन के लिए दोनों नासाछिद्रों को विपरीत क्रम में बारी-बारी से उपयोग में लाया जाता है। यह प्राणायाम नाड़ीशोधन प्राणायाम भी कहलाता है।

भारतीय संस्कृति में योग और प्राणायाम का एक अहम योगदान हैं। अनुलोम विलोम के चमत्कार में सबसे रामबाण चमत्कार हैं, तनाव से तुरंत मुक्ति। अनुलोम विलोम प्राणायाम को सभी प्राणायामो से उत्तम माना जाता हैं।

• नसाग्र मुद्रा

दाहिने हाथ की नसाग्र मुद्रा अनुलोम विलोम प्राणायाम में बनाते हैं। नसाग्र मुद्रा को कैसे बनाते हैं, सबसे पहले दाएं अंगूठे से दाई नासिका को बंद कर लें फिर बाई नासिका से अनुलोम विलोम प्राणायाम करने की शुरुआत करें। हाथ की पहली दो उंगलियो को बिंदी वाले स्थान पर रखें यानी की भू–मध्य पर रखें।बाएं घुटने पर बाई हथेली को रखें। ज्ञान मुद्रा में अंगूठे और पहली उंगली को रखे और बाकी की उंगलियों को दूर ( खुली ) रखें।

अनुलोम विलोम के चमत्कार: Anulom Vilom Pranayama

• वरुण मुद्रा

जिस व्यक्ति को मूत्र और रक्त से सम्बन्धित कोई भी समस्या हो तो अनुलोम विलोम प्राणायाम को वरुण मुद्रा में करने से ये समस्या दूर होती हैं। वरुण मुद्रा को कैसे किया जाता हैं, सबसे पहले कमर को सीधा करके स्वस्तिकासन में बैठ जाएं। फिर दाएं अंगूठे और पहली, छोटी उंगली को भिन्न करके वरुण मुद्रा को बनाकर दाएं घुटने पर हाथ को रखे।

फिर बाएं अंगूठे को नासिका के ऊपर रखकर धीरे धीरे सांस भरना शुरू करें। फिर अंगूठे को छोड़कर हाथ की पहली दो उंगलियों से दाएं नासिका के ऊपर रख कर धीरे धीरे सांस को छोड़े। इस प्रक्रिया को पांच मिनिट तक करें।

अनुलोम विलोम के चमत्कार: Anulom Vilom Pranayama

• पृथ्वी मुद्रा

अगर आप अस्थिर मानसिकता के हैं यानी की आपके दिमाग की स्थिरता नही हैं। आप किसी भी बात को अच्छी तरह नही समझ पाते हैं और आपका ध्यान इधर उधर भटकता हैं तो आपको पृथ्वी मुद्रा अवश्य करनी चाहिए।

पृथ्वी मुद्रा को कैसे किया जाता हैं, सबसे पहले कमर को सीधा करके सिद्धासन में बैठ जाएं। फिर दाएं अंगूठे और दुसरी उंगली, छोटी से थोड़ी बड़ी को भिन्न करके पृथ्वी मुद्रा को बनाकर दाएं घुटने पर हाथ को रखे।

फिर बाएं अंगूठे को नासिका के ऊपर रखकर धीरे धीरे सांस भरना शुरू करें। फिर अंगूठे को छोड़कर हाथ की पहली दो उंगलियों से दाएं नासिका के ऊपर रख कर धीरे धीरे सांस को छोड़े। इस प्रक्रिया को दस मिनिट तक करें।

अनुलोम विलोम के चमत्कार: Anulom Vilom Pranayama

• आकाश मुद्रा

जिन लोगो का शरीर कमजोर और दुबला पतला हैं। उन्हे आकाश मुद्रा करनी चाहिए। आकाश मुद्रा को कैसे किया जाता हैं, सबसे पहले कमर को सीधा करके स्वस्तिकासन में बैठ जाएं। फिर दाएं अंगूठे और मध्यम उंगली को भिन्न करके आकाश मुद्रा को बनाकर दाएं घुटने पर हाथ को रखे।

फिर बाएं अंगूठे को नासिका के ऊपर रखकर धीरे धीरे सांस भरना शुरू करें। फिर अंगूठे को छोड़कर हाथ की पहली दो उंगलियों से दाएं नासिका के ऊपर रख कर धीरे धीरे सांस को छोड़े। इस प्रक्रिया को सुबह सात मिनिट तक करें।

• वायु मुद्रा

जिनके शरीर मे वायु का वेग ज्यादा हैं इन्हें वायु मुद्रा अवश्य करनी चाहिए। वायु मुद्रा को कैसे किया जाता हैं, सबसे पहले कमर को सीधा करके सिद्धासन में बैठ जाएं। फिर दाएं अंगूठे और सबसे आखरी उंगली को भिन्न करके वायु मुद्रा को बनाकर दाएं घुटने पर हाथ को रखे।

फिर बाएं अंगूठे को नासिका के ऊपर रखकर धीरे धीरे सांस भरना शुरू करें। फिर अंगूठे को छोड़कर हाथ की पहली दो उंगलियों से दाएं नासिका के ऊपर रख कर धीरे धीरे सांस को छोड़े। इस प्रक्रिया को छ मिनिट तक करें।

अनुलोम विलोम के चमत्कार: Anulom Vilom Pranayama

• विधि

  1. पद्मासन आसन में बैठकर शरीर को सीधा रखें और हाथों को अपने सामने घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें।
  2. दायाँ हाथ उठाएँ और दाएँ हाथ के अँगूठे से दायाँ नासाछिद्र बंद करें।
  3. बाएँ नासाछिद्र से धीरे-धीरे श्वास अंदर लें। दाएँ नासाछिद्र पर से अँगूठे का दबाव हटाएँ।
  4. अब बाएँ नासाछिद्र को अनामिका और छोटी अँगुली से बंद करें और दाएँ नासाछिद्र से धीरे-धीरे श्वास छोड़ें।
  5. फिर सीधे नासाछिद्र से धीरे-धीरे श्वास अंदर लें।
  6. दाएँ नासाछिद्र को अँगूठे से बंद करें और धीरे-धीरे बाएँ नासाछिद्र से श्वास छोड़ें।
  7. यह अनुलोम-विलोम प्राणायाम का एक चक्र है। इसे पाँच बार दोहराएँ।

• प्राणायाम करते वक्त क्या ना करें

  1. मुंह से सांस न लें।
  2. नाक से आवाज़ न निकालें।
  3. नासाछिद्रों पर ज्यादा जोर न लगाएँ।

अनुलोम विलोम के चमत्कार: Anulom Vilom Pranayama

• अनुलोम विलोम के चमत्कार (Anulom Vilom Pranayama)

  1. सिद्धासन में बैठ जाएं.
  2. बाएं घुटने पर बाई हथेली को ज्ञान मुद्रा बनाकर रखे।
  3. फिर बची हुई सांस को बाहर निकाल दें। और बाई नासिका की मदद से सांस भरना शुरू करें।
  4. सांस भरते हुए छाती और पेट को फुलाएं
  5. बाई नासिका की सहायता से सांस लेने के बाद अनामिका से बाई बंद कर लें और दाई नासिका के ऊपर रखा हुआ अंगूठा हटा दें, फिर पूरी सांस को बाहर निकाल दें।
  6. सांस छोड़ते हुएं पहले छाती से सांस बाहर आयेगी।
  7. इसी तरह दाई नासिका से सांस भरे और बाई नासिका से सांस निकाल दें. सांस छोड़ते वक्त दाई नासिका को अंगूठे से बंद रखेगे. इसी तरह अनुलोम विलोम का पहला चक्र पूरा होता हैं।
  8. आप पंद्रह मिनिट तक इस प्राणायाम को कर सकते हैं। और प्रतिदिन दस से पंद्रह मिनिट इस प्राणायाम को करना चाहिए.

अनुलोम विलोम के चमत्कार: Anulom Vilom Pranayama

• लाभ

  1. मन को शांत करता हैं।
  2. वजन कम करता हैं।
  3. एकाग्रता को सुधारता है।
  4. कब्ज, गैस को दूर करता हैं।फेफड़ों को मजबूत बनता हैं।
  5. तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता हैं। ऑक्सिजन का प्रवाह अच्छा करता हैं रक्तचाप नियमित करने में मदद करता है।
  6. शरीर की विषाक्तता ( डिटॉक्स ) को दूर करता हैं।शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजनयुक्त रक्त उपलब्ध कराता है।
  7. सोच समझ ने की शक्ति को बठाने मे आपकी मदद करता हैं।
  8. त्वचा की चमक को बठाता हैं और खिल, मुंहासे को दूर करता हैं।   
  9. अस्थमा, उच्च या निम्न रक्तचाप, अनिद्रा रोग, – चिरकालिक दर्द, अंत: स्रावी असंतुलन हृदय रोग, अतिअम्लता, गठिया, माइग्रेन, जैसी बीमारियो को दूर करने में आपकी मदद करता हैं।

• सावधानियां

  1. धूम्रपान और शराब का सेवन ना करें दोनों नथुने कभी भी एक साथ नहीं खुलने चाहिए
  2. मलत्याग के बाद दूसरे नथुने से रेचक करना चाहिए
  3. अभ्यास हमेशा बायीं नासिका से पूरक के साथ शुरू करें
  4. अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से पहले जान ले की ये स्टेप सही हैं या गलत अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का सबसे अच्छा वक्त सुबह के पांच से सात बजे तक का हैं।
  5. अगर आपको हड़य रोग, रक्तचाप की समस्या हैं तो डॉक्टर की सलाह के बिना अनुलोम विलोम प्राणायाम को नहीं करना चाहिए

अनुलोम विलोम के चमत्कार: Anulom Vilom Pranayama

• फायदे

  1. पंचप्राण शरीर में संतुलित होता है। मन को शांत और संतुलित करता  हैं।
  2. हाई बी.पी. नियंत्रण (हाई बीपी) में रहती हैं। प्रत्येक कोशिका को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है।
  3. बाएँ और दाएँ मज्जा समान रूप से विकसित होते हैं।
  4. शरीर से वात, पित्त और क्या दोष की विकृति दूर होती है।
  5. एकाग्रता, स्मृति, निर्णय लेने और आत्मनिर्भरता बढ़ाता है।

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• Conclusion ( निष्कर्ष )

ध्यान दें कि योगासनों को सही ढंग से करने के लिए एक प्रशिक्षित योग गुरु के मार्गदर्शन में अभ्यास करना अच्छा होता है। योग आसनों को धीरे-धीरे सीखें और शरीर की सीमाओं के अनुसार समय बढ़ाते रहें। अपने स्वास्थ्य और शारीरिक समर्थ के अनुसार आसन करें और जब भी आवश्यक हो, उचित सलाह के लिए एक योग गुरु से परामर्श लें।

इस लेख में हमने आपको अनुलोम विलोम क्या हैं, अनुलोम विलोम के प्रकार, अनुलोम विलोम करने से पहले बरते जाने वाली सावधानियां, अनुलोम विलोम के चमत्कार (Anulom Vilom Pranayama) अनुलोम विलोम के फायदे, अनुलोम विलोम की विधि, अनुलोम विलोम लाभ के बारे में सपूर्ण जानकारी दी हैं। आशा करता हूं आप अनुलोम विलोम के चमत्कार: Anulom Vilom Pranayama से जुड़ी सभी जानकारियों को अच्छी तरह समझ गए होगे।

हमारा उद्देश्य आपको स्वस्थ और तंदुरस्त रखना हैं। अनुलोम विलोम के चमत्कार (Anulom Vilom Pranayama) से जुड़ी जानकारी आपको कैसी लगी हमे कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताएं।

लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद 🙏 

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