भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे : Benefits of Bhujangasana

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग करना बोहोत फायदेमंद हैं। वैसे तो योग के कई आसन हैं लेकिन भुजंगासन सबसे आसान और काफी लाभदायक आसन हैं। पेट दर्द दूर करने से लेकर भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे (Benefits of Bhujangasana) आपको मिलते हैं. जेसे की गैस, कब्ज, एसिडिटी आदि और महिलाओं को होने वाली मासिक धर्म की समस्या को भी दूर किया जा सकता हैं।

• भुजंगासन क्या हैं?

भुजंगासन या सर्पासन (Bhujangasana या Shalabhasana) एक प्रमुख योगासन है जो शरीर के लिए फायदेमंद होता है। यह एक हाथों और पेट के समर्थित अवस्था में शरीर को विस्तार करने वाला आसन है। इस आसन को भुजंग या सर्प (सांप) के आकार की शलभ (सर्प) धारण करते हुए किया जाता है, इसलिए इसका नाम भुजंगासन है।

यह आसन पृथ्वी तत्व को बढ़ावा देता है और पीठ, कंधे, हाथ, पेट, जांघों और पेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। भुजंगासन के अभ्यास से पेट, जांघों और गर्दन की मांसपेशियों को बढ़ावा मिलता है और यह शरीर को एक सुव्यवस्थित रूप में स्थिर करने में मदद करता है।

भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे : Benefits of Bhujangasana

• भुजंगासन का इतिहास

भुजंगासन, जिसे अंग्रेजी में “Cobra Pose” भी कहा जाता है, एक प्राचीन योगासन है जो हजारों सालों से भारतीय योग दर्शन में प्रचलित है। यह आसन सर्वप्रथम योग सूत्र प्रणाली में महर्षि पतंजलि द्वारा वर्णित किया गया है।

भुजंगासन का नाम संस्कृत शब्द “भुजंग” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “सर्प” यानी नाग या साँप। इस आसन को साँप के आकार और उसकी ऊपरी भूमिका के आदान-प्रदान की धारणा के कारण इसका नाम भुजंगासन पड़ा।

यह योगासन भारतीय योग परंपरा में संक्षेप में “हठ-योग” के अध्यात्मिक ग्रंथों में वर्णित है, जैसे कि “हठ-योग प्रदीपिका” और “गोरक्षशतक”। इन ग्रंथों में भुजंगासन को कायास्थ और मनोस्थ दोनों रूपों में सम्पूर्णता से वर्णित किया गया है।

भुजंगासन को एक अभ्यास के रूप में स्वास्थ्य, शारीरिक सुधार, ध्यान और आध्यात्मिक विकास के लिए उचित माना जाता है। यह आसन पीठ, कंधे, हृदय, पेट, पाचन तंत्र, वक्ष और मस्तिष्क को स्थायित्व और स्ट्रेच करने में मदद करता है। यह शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने का भी प्रभाव रखता है।

यह आसन आदित्य सूर्य देवता के साथ जुड़ा है और कुंडलिनी शक्ति के साथ भी संबंधित है, जिसे भारतीय योग दर्शन में उठने वाली ऊर्जा का प्रतीक कहा जाता है।

योग के बाद के दौर में, भुजंगासन को एक प्राणायाम तकनीक भी माना जाता है, जिसे “भुजंगी प्राणायाम” कहा जाता है। इस प्राणायाम को करने से प्राण और ऊर्जा का संतुलन होता है और शरीर को शक्ति प्रदान की जाती है।

भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे : Benefits of Bhujangasana

• भुजंगासन करने का आसान तरीका

  1. पहले एक योगमाट या दरी पर सीधे लेट जाएँ। अपने पेट को मैट पर संपर्क में रखें।
  2. अपने हाथों को शरीर के सिरे के पास रखें और अपने निंदक बाजूओं के नीचे रखें। अपने अंगूठों को शरीर के सिरे के पास रखें या उन्हें मैट पर ढंग से रखें।
  3. ध्यान रखें कि आपकी पैरों के जोड़बंदी रहे और पैरों की अवधि दरवाजे के साथ सीधी हो।
  4. अब शांत हो जाएँ और सांस छोड़ें।
  5. श्वास को छोड़ते हुए, अपने सिर और ऊपरी शरीर को मैट से ऊपर उठाएँ। अपने हाथों को थोड़ा-थोड़ा सामंजस्यपूर्ण रखें ताकि आपके हाथों की शक्ति सामान्य हो और शरीर को समर्थित रखें।
  6. धीरे-धीरे अपने बाजूओं को कंधों से उच्चारित करें और अपने छाती को मैट से दबाएँ। इसके परिणामस्वरूप, आपकी छाती ऊपर की ओर उठेगी।
  7. आपको ध्यान देना चाहिए कि आपका नाभि मैट से दबा हुआ हो और आपकी कूल्हों को धरती पर गाढ़ी नीचे रखें।
  8. इस धारण में रहते हुए, आपको सांस लेने और छोड़ने की स्वाभाविकता से ध्यान करना चाहिए। आप अपनी सांस को संयमित और समर्थित बनाए रखने के लिए उचित आदत बना सकते हैं।
  9. अब आपको थोड़ा समय रखना चाहिए, इस ध्यान के दौरान अपने शरीर को आराम दें और आनंद लें।
  10. योगासन को समाप्त करने के लिए, धीरे-धीरे अपने शरीर को मैट पर लेट जाएँ और आराम से श्वास छोड़ें।

आप अपनी योग साधना के लिए इस आसान को धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं और सामरिक और मानसिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, यदि आपको किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या हो या योग करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होगा।

भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे : Benefits of Bhujangasana

• भुजंगासन के दौरान रखें ये सावधानियां

  1. सीमित गति से आराम से आसन करें: भुजंगासन को स्थिरता और ध्यान के साथ करें। अधिक ताकतवर या जटिल ढंग से आसन करने से घातक हो सकता है। संकोच करने वाले लोगों के लिए अपने ऊपरी शरीर को केवल जितना उठाएं जितना सहज लगता है।
  2. पीठ की संरचना का ध्यान दें: भुजंगासन के दौरान पीठ को समर्थित रखें। अत्यधिक ढीलापन या अधिक तनाव शरीर को क्षति पहुंचा सकता है। इसके लिए, पीठ को सुधारने और सजग रहने के लिए ध्यान दें।
  3. दर्द और असहजता के संकेत पर ध्यान दें: यदि भुजंगासन करने के दौरान आपको किसी भी प्रकार का दर्द, असहजता, या असामान्य अनुभव होता है, तो तुरंत बंद करें। इसे करने से पहले अपने शरीर की सुनें और अपने शरीर के साथ सहयोगपूर्ण बनें।
  4. सामान्य श्वास नियमित रखें: भुजंगासन के दौरान आराम से समय लें और सामान्य श्वास लेने का प्रयास करें। सही श्वास लेना आसन को सहज बनाए रखेगा और अत्यधिक तनाव या अनुचित सांस लेने से बचेगा।
  5. स्नायुशक्ति जागरूक रखें: भुजंगासन करते समय स्नायुशक्ति को जागरूक रखें। स्नायुशक्ति को देखभाल करने के लिए आसन को सही ढंग से करें और अत्यधिक तनाव या दबाव से बचें।
  6. पूरी तरह से विश्राम करें: भुजंगासन के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात विश्राम करना है। अधिक तनाव लेने या दुबारा से अपनी साँस छोड़ने की कोशिश न करें। ध्यान रखें कि आपका शरीर आराम से समय ले रहा है और आसन का आनंद ले रहा है।

भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे : Benefits of Bhujangasana

• भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे ( Benefits of Bhujangasana )

  1. पीठ और कंधों को मजबूत बनाएँ: भुजंगासन श्वास नलियों को खोलकर पीठ और कंधों की मांसपेशियों को मजबूत करता है। इससे आपकी पोस्चर बेहतर होती है और शरीर के ऊपरी हिस्से को सुधारता है।
  2. तंत्रिका संतुलन को बढ़ावा दें: भुजंगासन आपके न्यूरोमस्कुलर संयंत्र को स्थिरता और संतुलन देने में मदद करता है। यह आपकी शारीरिक कोऑर्डिनेशन और स्थायित्व को सुधारता है।
  3. पेट को मजबूत करें: भुजंगासन पेट की मांसपेशियों को आकर्षित करता है और मजबूत बनाता है। यह पाचन तंत्र को उत्तेजित करके अच्छा पाचन प्रदान करता है।भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे में ये सबसे बेहतरीन फायदा हैं.
  4. जांघों की मांसपेशियों को सुधारें: यह आसन जांघों की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है और मजबूत करता है। यह जांघों के मांसपेशियों को लंबा, सुपला और टोन्ड बनाने में मदद करता है।
  5. पीठ के दर्द को कम करें: भुजंगासन पीठ के दर्द को कम करने में मदद करता है। इस आसन के द्वारा पीठ की मांसपेशियों को स्ट्रेच करने से पीठ के दर्द का समाधान होता है।
  6. चित्त और मन को शांत करें: योगासन करने से चित्त और मन शांत होते हैं और मानसिक स्थिरता में सुधार होता है। भुजंगासन आपको स्थिरता और ध्यान में मदद करता है।
  7. पूर्ण श्वास लेने में मदद करें: भुजंगासन स्वास नलियों को खोलकर श्वास लेने में मदद करता है। इससे श्वास नलियों की क्षमता में सुधार होता है और फेफड़ों को मजबूती मिलती है।

यहां बताए गए फायदे केवल कुछ ही हैं। भुजंगासन नियमित रूप से करने से आपके शरीर, मन और आत्मा को विश्राम, सुधार और स्थायित्व की अद्यतन मिलती है। हालांकि, यदि आपकी कोई चिकित्सा समस्या है, तो आपको पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

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भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे : Benefits of Bhujangasana

• Conclusion ( निष्कर्ष )

योग का अभ्यास हमेशा किसी योग के जानकार या एक्सपर्ट की सलाह के मुताबिक ही किया जाना चाहिए। अगर आपको कमर में दर्द हो रहा हैं या आपको कमर में चोट लगी हैं तो इस आसन को न करें।

जिन लोगो के पेट का ऑपरेशन हुआ हैं। उन लोगो को भुजंगासन नही करना चाहिए। खासकर महिलाओं को प्रेगनेसी के ऑपरेशन में दो साल तक नही करना चाहिए।

हाई बीपी और लो बीपी वाले लोगो को भुजंगासन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। जिन लोगो को पेट के आंत में किसी प्रकार का गांव हो और अल्सर हो उन लोगो को इस आसन को नही करना चाहिए। घुटनें ( जोड़ो ) की समस्या से परेशान लोगो को भुजंगासन को करने से दूर रहना चाहिए।

इस लेख में हमने आपको भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे (Benefits of Bhujangasana) के बारे में सपूर्ण जानकारी दी हैं। आशा करता हूं आप भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे (Benefits of Bhujangasana) से जुड़ी सभी जानकारियों को अच्छी तरह समझ गए होगे।

हमारा उद्देश्य आपको स्वस्थ और तंदुरस्त रखना हैं। भुजंगासन के 7 चमत्कारी फायदे (Benefits of Bhujangasana) से जुड़ी जानकारी आपको कैसी लगी हमे कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताएं।

लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद 🙏

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