पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां : Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi

पवनमुक्तासन एक योगासन है जो शरीर को सुख और स्वास्थ्य की ओर ले जाने के लिए आदर्श माना जाता है। अगर पवनमुक्तासन को सही तरीके से किया जाएं तो इससे आपको इतने फायदे मिलते हैं, की आप सोच भी नहीं सकते. इसलिए पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां (Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi) में जो स्टेप बताएं गए हैं, उन्हें फॉलो करें.

• पवनमुक्तासन क्या है?

“पवनमुक्तासन” संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है। इसका अर्थ होता है “पवन” जो की हवा को दर्शाता है और “मुक्त” जो की मुक्ति या छुटकारा को दर्शाता है। इस आसन का अर्थ होता है “हवा को छुड़ाने वाला आसन” या “हवा से मुक्ति प्राप्त करने वाला आसन”।

इसे ऐसा कहा जाता है क्योंकि इस आसन का प्रयोग करने से शरीर के विभिन्न हिस्सों को गैस्ट्रिक एयर्स से मुक्ति मिलती है। इस आसन का नाम इसके लाभों को दर्शाने के लिए दिया गया है।

पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां : Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi

• पवनमुक्तासन का इतिहास

पवनमुक्तासन का इतिहास व्यायाम और योग के माध्यम से संबंधित है। यह आसन प्राचीन भारतीय योग शास्त्रों में वर्णित है और योग के विभिन्न प्रकारों में आविष्कृत किया गया है।

पवनमुक्तासन का उल्लेख प्रथम बार हठ योग प्रदीपिका ग्रंथ में किया गया है, जो योग प्रणाली को विस्तार से वर्णित करता है। यह ग्रंथ 15वीं शताब्दी में लिखा गया था और इसमें विभिन्न आसनों, प्राणायाम, ध्यान और धारणा की विधियों का वर्णन है। पवनमुक्तासन इस ग्रंथ में “अपानवायु मुद्रा” के नाम से उल्लेखित है।

पवनमुक्तासन के अलावा, इसे पुराणों, तांत्रिक ग्रंथों और योग प्रदर्शिनी आदि ग्रंथों में भी उल्लेख किया गया है। यह आसन शरीर की पचन शक्ति को सुधारता है और पेट और आंतों के क्षेत्र को मजबूत करता है।

योग के माध्यम से यह स्वास्थ्य और विकास के लिए व्यायाम की एक महत्वपूर्ण तकनीक मानी जाती है और यह आसन विभिन्न योग प्रशिक्षकों और संस्थानों द्वारा सिखाया जाता है। इसके लाभों के कारण, यह आसन आजकल व्यापक रूप से लोगों द्वारा अपनाया जाता है और स्वास्थ्य और तनाव मुक्ति के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय है।

पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां : Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi

• पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां से पहले ये आसन करें

  1. सूर्य सलाम्बन आसन (Surya Namaskar): यह पूर्ण शरीर का व्यायाम है और शरीर को तैयार करने के लिए उत्कृष्ट है। सूर्य सलाम्बन आसन में कई आसन होते हैं, जो शरीर की प्रत्येक हिस्से को व्यायाम करते हैं।
  2. मर्जरी आसन (Marjariasana): यह आसन पीठ और कंधों को मजबूत और सुस्ती को कम करने में मदद करता है। इसके लिए चारपाई बनाएं, हाथों को कंधों के नीचे रखें, श्वास लेंगे को बाहर निकालते हुए कमर को घुटनों की ओर ढीला करें, और ऊपर देखें। यह सम्पूर्ण स्पाइनल को शक्ति और लचीलापन प्रदान करता है।
  3. भुजंगासन (Bhujangasana): यह पीठ को मजबूत और स्पाइनल को फ्लेक्स करने में मदद करता है। पेट को फर्श पर लेटें, हाथों को कंधों के साथ रखें, पेट के नीचे टांगों को धरें और सांस लेंगे को बाहर निकालते हुए ऊपर उठें। यह पीठ, गर्दन, और हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है।  
  4. शवासन (Shavasana): यह शरीर को शांति और संबल देता है। एक योग मैट पर लेटें, पूरी तरह से शरीर को ढीला करें, आंखें बंद करें और ध्यान केंद्रित करें। यह आसन मन को शांत करके मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है।

• पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां : Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi

– सावधानियां :

पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां : Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi

  1. शुरुआत में धीरे-धीरे करें: आसन की प्रारंभिक स्थिति में धीरे-धीरे आसन को करें। जब आप योग्यता और संतुलन प्राप्त करेंगे, तब आप इसे धीरे-धीरे और सुचारू रूप से कर सकेंगे।
  2. नीचे से आहत न हों: जब आप अपनी घुटनाओं को अपनी छाती के पास खींचते हैं, सुनिश्चित करें कि आपको किसी प्रकार की दर्द, असुविधा या अहसास नहीं हो रहा है। यदि ऐसा होता है, तो आसन को मुड़ने की कोशिश करें या उसे बंद करें।
  3. समय सीमा में रहें: शुरुआत में आप यह आसन कुछ समय के लिए ही करें, उसे ज्यादा समय तक बढ़ाने की कोशिश न करें। आप धीरे-धीरे समय बढ़ा सकते हैं जब आपकी सामर्थ्य और लचीलापन बढ़ जाए।
  4. नियमितता: पवनमुक्तासन को नियमित रूप से करें। नियमितता से करने से इसके फायदे में सुधार होती है और शरीर की सुधारता होती है।
  5. सुविधा के साथ करें: आसन को करते समय आपको अपनी सुविधा के अनुसार बरतने की आवश्यकता होती है। यदि आप किसी तरह की चोट, अंगूठे के दर्द, पीठ की समस्या आदि से पीड़ित हैं, तो इसे करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
  6. समय लें: आसन को करते समय ध्यान दें कि आपका शरीर धीरे-धीरे संयमित हो रहा है और सही संरचना में है। जब आप आसन को छोड़ते हैं, तो शांति और स्थिरता की स्थिति में ठहरें।

– विधि :

पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां : Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi

  1. सबसे पहले आसन में बैठें या लेट जाएं। यदि आप बैठे हैं, तो पैरों को सीधा रखें और अगर आप लेट रहे हैं, तो पैरों को सीधा करें।
  2. अपने हाथों को अपनी घुटनाओं के पास ले जाएँ और उन्हें अपनी छाती के पास बंद करें।
  3. अपनी सांसें धीरे-धीरे अंदर लें और ध्यान दें कि आपका पेट सुखा हो रहा हो।
  4. अब अपने ऊपरी शरीर को अपनी घुटनाओं के पास लाएँ और अपने सीधे जांघों को अपने पेट के नजदीक खींचें। इससे आपका पेट और पश्चिम छाती में दबाव आएगा।
  5. अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और अपने ऊपरी शरीर को अपनी घुटनाओं के पास से हटाएँ, हाथों को अपनी पीठ के पीछे ले जाएँ और सांस अंदर छोड़ें।
  6. इस स्थिति में कुछ समय रहें और फिर धीरे-धीरे सांसें अंदर लेना शुरू करें। इसके बाद हाथों को उठाएँ और अपनी पैरों को सीधा करें।
  7. ध्यान रखें कि आप आसन को सही ढंग से कर रहे हैं और किसी भी दर्द या असुविधा की स्थिति में तुरंत बंद करें।

– आसान विधि :

  1. शुरुआत में आपको सीढ़ी की तरह अपनी पीठ को सीधा रखना होगा। आप अपने पैरों को सीधा रख सकते हैं या अगर चाहें तो आप उन्हें घुटनों पर झुका सकते हैं।
  2. अपनी दोनों हाथों को अपनी घुटनों के पास ले जाएँ और उन्हें आपके छाती के समीप रखें।
  3. अब आपको धीरे-धीरे अपनी सांसों को बाहर छोड़ना होगा जबकि आप अपने हाथों को अपनी घुटनाओं को खींचते हैं। यह आपकी पेट की चरखी के नीचे की ओर दबाव डालेगा।
  4. अब आपको सांसों को अंदर लेना होगा और आप अपने हाथों को धीरे-धीरे अपने घुटनाओं के नीचे से छोड़ देंगे। इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे और सावधानीपूर्वक करें।
  5. इस स्थिति में आपको कुछ समय रहना होगा और अपनी सांसों को सामान्य बनाने के बाद, धीरे-धीरे अपने हाथों को उठाएं और अपनी पैरों को सीधा करें।

• पवनमुक्तासन के फायदे

पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां : Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi

  1. पाचन क्रिया को सुधारता है: पवनमुक्तासन पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यह पाचन क्रिया को सुधारता है, अपच, गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याओं को कम करता है।
  2. पेट को मजबूत बनाता है: यह आसन पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है और पेट के आसपास की चर्बी को कम करने में सहायता प्रदान करता है।
  3. कमर को मजबूत और लचीला बनाता है: पवनमुक्तासन आपकी कमर को मजबूत और लचीला बनाने में मदद करता है। यह पीठ और कमर के दर्द को कम करता है और उन्हें सुधारता है।
  4. संतुलित श्वास क्रिया को बढ़ावा देता है: इस आसन को करने से श्वास क्रिया सुधारती है और आपके फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
  5. मन को शांति प्रदान करता है: पवनमुक्तासन आपके मन को शांति और स्थिरता की अवस्था में लाता है। इसके प्रकार आसन को करने से मानसिक तनाव, चिंता और चिंताओं का सामर्थ्य कम होता है।
  6. अंतरिक्ष में फैली गैसों को दूर करता है: पवनमुक्तासन गैसों को शरीर से निकालने में मदद करता है। यह पेट में फंसी हुई गैसों को रिलीज़ करता है और उन्हें बाहर निकालता है।

• पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां के बाद ये आसन करें

  1. शिशु आसन (Shishuasana): इस आसन में आप घुटनों पर बैठते हैं, अपने पेट को आपके जांघों के बीच में रखते हैं, और अपने मस्तिष्क को मात्रा पर टटोलते हैं। यह आसन शरीर को विश्राम और शांति देता है और पवनमुक्तासन के बाद विशेष रूप से आरामदायक होता है।
  2. पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana): इस आसन में आप बैठते हैं, अपने पैरों को आपके बड़े उंगलियों पर धरते हैं और अपने शरीर को अगली ओर झुकाते हैं। यह आसन पीठ, पेट, और पीठ की मांसपेशियों को खींचता है और पवनमुक्तासन के द्वारा संचित गैसों को विमुक्त करने में मदद करता है।
  3. अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana): इस आसन में आप बैठते हैं, एक पैर को बाहर की ओर मोड़ते हैं और अपने ऊपरी हाथ को वाम कंधे के पीछे रखते हैं। यह आसन पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और पवनमुक्तासन के बाद शरीर को और गहराई से स्थिरता और छुटकारा देता है।

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पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां : Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi

• Conclusion ( निष्कर्ष )

पवनमुक्तासन करने से आपके पेट के अंदरी और बाहरी भाग को मजबूती मिलती है, पाचन तंत्र को सुधारता है और पेट संबंधी विकारों को कम करने में मदद करता है। यह आपके पीठ, कमर, जांघों और गुटनों को भी मजबूत बनाने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से करने से श्वास, प्राणायाम, और मेडिटेशन के लाभ भी मिलते हैं।

यदि आप शारीरिक समस्या या चिकित्सा स्थिति में हैं, तो पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना सुनिश्चित करें, और किसी प्रशिक्षक या योग गुरु की निगरानी में ही योगासन करें।

ध्यान दें कि यदि आप किसी चिकित्सा स्थिति में हैं या आपको किसी पहले से मौजूद दर्द या समस्या है, तो पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा अच्छा रहेगा। वे आपको सही मार्गदर्शन और सुरक्षा दे सकते हैं।

इस लेख में हमने आपको पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां (Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi) के बारे में सपूर्ण जानकारी दी हैं। आशा करता हूं आप पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां (Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi) से जुड़ी सभी जानकारियों को अच्छी तरह समझ गए होगे।

हमारा उद्देश्य आपको स्वस्थ और तंदुरस्त रखना हैं। पवनमुक्तासन की विधि और सावधानियां (Benefits Of Pawanmuktasana In Hindi) से जुड़ी जानकारी आपको कैसी लगी हमे कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताएं।

लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद 🙏

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