भस्त्रिका प्राणायाम को योग में प्राणायामो का राजा कहा जाता हैं. क्योकि भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर की ताकात ( ऊर्जा ) बठती हैं, और आप पूरा दिन अपने आपको फ्रेश ( ताजा ) मेहसूस करते हैं. रोजाना भस्त्रिका प्राणायाम करने से आपकी सभी बीमारियां दूर होती हैं. और आप भस्त्रिका प्राणायाम की विधि (Bhastrika Pranayama Steps In Hindi) की सहायता से इस चमत्कारी प्राणायाम को आसानी से कर सकते है।
दुनिया भर में वायु प्रदूषण का स्तर दिन प्रतिदिन बठता जा रहा हैं, जिसकी वजह से हमारे फेफड़ों में दूषित हवा धूल, मिट्टी और हानिकारक अशुद्धियाँ घर कर लेती हैं, ऐसे में भस्त्रिका प्राणायाम करना आपके लिए अत्यंत लाभ दायक साबित हो सकता हैं। आप सभी को पता हैं सांस पर ही हमारा जीवन टिका हुआ हैं।
ऑक्सिजन की अपर्याप्त मात्रा से हमारे शरीर में बीमारियां जन्म लेने लगती हैं। भस्त्रिका प्राणायाम फेफड़ों के साथ आंख, कान और नाक के स्वस्थ को बनाए रखने के लिए भी काफी लाभ दायक हैं। भस्त्रिका प्राणायाम से पाचन संस्थान, लिवर और किडनी की भी एक्सरसाइज हो जाती हैं। अगर आपने प्रतिदिन भस्त्रिका प्राणायाम करना शुरू कर दिया तो आप अपने आपको बोहोत ज्यादा स्वस्थ मेहसूस करेंगे।
• भस्त्रिका प्राणायाम के प्रकार
1) सामान्य गति
अस्थमा , दमा , उच्च रक्तचाप, हदय रोग, हर्निया, कमर में दर्द या किसी भी प्रकार की शरीर में कमजोरी है, वो भस्त्रिका प्राणायाम को सामान्य गति से करें, जेसे की सांस को सामान्य गति से अंदर लें और सांस को सामान्य गति से बाहर निकालें।
2) मध्यम गति
जो लोग किसी भी रोग के शिकार नहीं हैं, वो भस्त्रिका प्राणायाम को मध्यम गति से कर सकते हैं, जेसे की सांस को मध्यम गति से अंदर लें और सांस को मध्यम गति से बाहर निकालें।
3) तीव्र गति
जो लोग पूरी तरह से स्वस्थ, निरोगी, योगी हैं वो भस्त्रिका प्राणायाम को तीव्र गति से कर सकते हैं, जेसे की सांस को तीव्र गति से अंदर लें और तीव्र गति से सांस को बाहर निकालें।
• भस्त्रिका प्राणायाम की सावधानियां
अगर आपको हाई बीपी की समस्या हैं तो चिकित्सक ( डॉक्टर ) की सलाह के बिना भस्त्रिका प्राणायाम ना करें। इस प्राणायाम को करने से पहले नाक और कान को साफ़ जरूर करें। भस्त्रिका प्राणायाम को किसी शांत और खुली जगह पर करें।
भस्त्रिका प्राणायाम करने के आधे घंटे पहले और भस्त्रिका प्राणायाम करने के आधे घंटे बाद पानी को ना पिएं ( अगर आपको पानी की ज्यादा आवश्यकता हैं तो भस्त्रिका प्राणायाम करने के बाद पानी के सिर्फ दो सिप पीएं ) आपकी ताकत से ज्यादा इस प्राणायाम को ना करें। दिन में एक ही बार प्राणायाम करें।
प्राणायाम करते वक्त शरीर को झटका या शरीर को ना हिलाएं। सांस लेने और सांस छोड़ने का वक्त बराबर रखें। हो सके तो भस्त्रिका प्राणायाम को योग के विशेषज्ञ की निगरानी में करें।
• भस्त्रिका प्राणायाम की विधि (Bhastrika Pranayama Steps In Hindi)
- बिना तनाव के पद्मासन की स्थिति में बैठकर गर्दन, कमर, और रीठ की हड्डी को सीधा रखकर मन को एकदम स्थिर कर लें।
- मुंह और आंखे बंद कर लें। और धीरे धीरे सांस लेना छोड़ना शुरू करें।
- इसी प्रकार श्वास लेना और छोड़ना जारी रखें।
- जब शरीर थक जाए तो प्राणमुद्रा का प्रयोग करते हुए दाएं नथुने से धीरे-धीरे गहरी सांसें लें।
- फिर धीरे धीरे सांस लेने और छोड़ने की गति को बड़ाना शुरू करें।
- प्राणायाम को कम से कम पांच बार करें।
- पहले जैसी अवस्था में वापस आने के लिए सांस की गति धीरे धीरे कम करते जाएं और आखरी बार गहरी सांस को लें और शरीर को ठीला करते करते सांस को छोड़ दें।
- इस प्राणायाम को करने के बाद पांच बार कपालभाति प्राणायाम करें।
• भस्त्रिका प्राणायाम करने के फायदे
- वजन कम होता हैं।
- भूख बठने लगती हैं।
- पेट की चर्बी कम होगी।
- गले की सूजन दूर होती है।
- शरीर में गर्मी पैदा होती हैं।
- सांस की समस्या दूर होती है।
- नाडी प्रवाह को शुद्ध करता हैं।
- श्वास लेने की शक्ति को बढ़ाता है।
- फेफड़े और हृदय मजबूत बनते हैं।
- दमा जैसे रोग से निजात दिलाता है।
- वात, पित्त और कफ के रोग धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं।
- ह्रदय की धमनियों की रुकावट को दूर करने में मदद करता है।
- भस्त्रिका प्राणायाम से शरीर को ज्यादा प्राणवायु मिलता हैं, जिसकी वजह से हमारे शरीर में अशुद्धियाँ खत्म होती हैं। इस प्राणायाम से आप ज्यादा ऑक्सिजन लेते हैं और आप ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालते हैं।
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• भस्त्रिका प्राणायाम कितनी देर करना चाहिए
भस्त्रिका प्राणायाम को शुरू में धीरे-धीरे करना चाहिए, और फिर समय के साथ आप इसे बढ़ाना चाहिए। शरूआत में, आप उन्हें लगभग ५-१० मिनट तक कर सकते हैं, और फिर समय के साथ इसे १५-३० मिनट तक बढ़ा सकते हैं। यह आपके शारीरिक और मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है।
हालांकि, सही ढंग से करने के लिए एक प्रशिक्षित योग गुरु के मार्गदर्शन में अभ्यास करना अच्छा होता है। भस्त्रिका प्राणायाम को धीरे-धीरे सीखें और शरीर की सीमाओं के अनुसार समय बढ़ाते रहें।
• भस्त्रिका प्राणायाम किसे नहीं करना चाहिए
भस्त्रिका प्राणायाम को उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गर्भवती महिलाएँ, श्वासनली संबंधित समस्याएँ, और सीने में दर्द या गले में संकोच वाले व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए। इन स्थितियों में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम को करने से पहले अपने योग गुरु या डॉक्टर से एक बार सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
• Conclusion ( निष्कर्ष )
ध्यान दें कि योगासनों को सही ढंग से करने के लिए एक प्रशिक्षित योग गुरु के मार्गदर्शन में अभ्यास करना अच्छा होता है। योग आसनों को धीरे-धीरे सीखें और शरीर की सीमाओं के अनुसार समय बढ़ाते रहें।
अपने स्वास्थ्य और शारीरिक समर्थ के अनुसार आसन करें और जब भी आवश्यक हो, उचित सलाह के लिए एक योग गुरु से परामर्श लें। अगर आपको अस्थमा की समस्या हैं तो इस प्राणायाम को करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
इस लेख में हमने आपको भस्त्रिका प्राणायाम करने की गति, भस्त्रिका प्राणायाम की विधि, भस्त्रिका प्राणायाम करने के लाभ,भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले रखे ये सावधानियां के बारे में सपूर्ण जानकारी दी हैं। आशा करता हूं आप भस्त्रिका प्राणायाम की विधि से जुड़ी सभी जानकारियों को अच्छी तरह समझ गए होगे।
हमारा उद्देश्य आपको स्वस्थ और तंदुरस्त रखना हैं। भस्त्रिका प्राणायाम की विधि से जुड़ी जानकारी आपको कैसी लगी हमे कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताएं।
लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद 🙏